Saturday, September 8, 2007

सोच

रूठे बैठे हैं वोह, उनको मनाऊ कैसे,
दर्द दिल का मै, उनको दिखाऊ कैसे/

उठ रहा है धुआं हर घर मै आज,
आग चूल्हे या घर मै लगी, मै बताउं कैसे/

लेकर मेहनत की कमाई लौटा वोह घर को,
सोचने बैठ गया इस को मै बचाऊ कैसे/

घर वोह लाया था जिसे अपनी दुल्हन बना कर,
सोचता है की उसमे, मै आग लगाऊं कैसे/

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